Add To collaction

लेखनी कहानी -13-Feb-2022 (चाय की टपरी )

(4) चाय की टपरी

बैठे बैठे बहुत देर हो गया था । तेज हवा चलने लगी शाम का समय था और बारिश का महीना । बारिश जैसे सुरु ही होने वाली थी इंतिजार कर कर के हमने 4 कट चाय पी ली थी।
इतने में चाय वाले ने कहां आप किसी का इंतिजार कर रहे है क्या सर बारिश चालू होने वाली है समान सब अंदर करना है।और हमे अपने घर को निकलना है। तो आप बैठे है तो हम दुकान बंद कर के भी नही जा सकते । 
अब आपको बता दे ये चाय वाला कोई अंजान नही बल्कि हमारा मित्र था। और हम अपने एक और मित्र का इंतिजार कर रहे थे ।वो मित्र से हम 2 साल बाद मिलने वाले थे । 
फिर चाय वाले मित्र ने हमे कहां आप काम करो आप दुकान में ही बैठी चाय बनी है । चाहो तो पी लेना या कोई आये तो उसे बेच देना ।
और यह कहते हुए वो समान समेट कर अपने घर को निकल गया । 
अब मैं और वो चाय की टपरी ही थी ....?
बारिश थोड़ी देर में बहुत तेज रफ्तार से गिरना भी सुरु हो गया।
देखते देखते चाय की टपरी पर लोग इकट्ठा होने लगे । 
सब बारिश से बचने के लिए उस छोटे से टपरी में ऐसे अंदर आ रहे थे कि क्या ही बातये । अब वो टपरी एक जेल बन गया था।
थोड़ी देर के बाद एक महाशय ने हमे चाय मांगी और मैने कहाँ 
चाय तो नही है सर । 
उसने कहां अरे नही है तो बना दो क्यो तुम्हे पैसे नही कमाना क्या..?
मैंने कहां नही सर ऐसी बात नही है । वक्त हो चला है । अब अगर चाय बनाई तो नुकसान होगा । सिर्फ एक हाफ के लिए चूल्हा जलाने में खर्च भी है। और नुकसान भी आप तो सिर्फ 7 रुपये ही देगे । पर मेरा तो 20 रुपये से लेकर 290 का खर्च बेठ जाएगा ।
फिर क्या उस महाशय ने सभी को चाय ऑफर कर दी सब ने कहा हम भी पी ले गे जब तक बारिश बन्द नही होती । 
और फिर क्या था दोस्तो देखते देखते 100 हाफ चाय बना दी सब पी रहे थे । कुछ लोग मेरी दुकान पर तो कुछ लोग अगल-बगल के दुकान पर खड़े थे । सब चाय और खारी बिस्कुट खाते गए । मैं हिसाब रखता गया ।
और फिर उस महाशय ने कहां देखा आपका बिजनेश आज कैसे चला कभी भी किसी को मना नही करते भाई साहब।
ना जाने कौन किस वक्त भगवान का रूप लेकर आपके पास आ जाये । 
और फिर क्या था मेरा दुकान मेरा धंधा मेरा चाय का टपरी ना होते हुए भी मैंने लगभग 5000 से ज्यादा की कमाई कर ली थी। 
अब चाय खत्म हो गई और खारी बिस्कुट भी ।
पानी भी हल्की हो गई थी सब जाने लगे थे ।
पर अब भी वो मेरा दोस्त आया नही ।
दरसल बात ऐसी है....?
मैं एक कम्पनी में सिर्फ 10000 की नॉकरी करता था ।और वो मेरा दोस्त एक छोटा सा रेस्टोरेंट चलाता था।ये वाला दोस्त चाय की टपरी चलाता था।और वो दोनो मिले हुए थे मुझे यही
बताने के लिए एक सिख देने के लिए की अपना खुद का बिजनेश छोटा हो या बड़ा अपना होता है। उसके आप ही मालिक होते है । जब चाहै आये गए । कोई रोक टोक नही 
पैसे कभी ज्यादा तो कभी कम पर एक सुकूँ रहता है ।
वो दोनो सामने वाले कि दुकान से मुझे देख रहे थे ।
मुझे इस बात का पता नही था।
अब बारिश बन्द हो गई तो मैने सबसे पहले चाय वाले दोस्त को फोन करके कहां तुम आ सकते हो क्या तुम्हें पैसे देने है।
उसने कहां तू ही रख ले भाई वो तेरी कमाई है ।
और ये बता वो आया कि नही जिसका तू इंतिजार कर रहा था अरे कहां भाई रात हो गई पर वो आया ही नही लगता है आज उसकी दुकान रेस्टोरेंट में भी काफी भीड़ होगी तो उसे छोड़कर वो कहा आ पायेगा ऐसा मेने कहा।
चाय वाले दोस्त ने मुस्कुराते हुए जवाब दिया अच्छा मतलब आज तेरे चाय की टपरी पर भी भीड़ है । 
अरे भाई वो चाय की दुकान तेरी है । मेरी नही ...?
हा आज तेरे दुकान पर काफी भीड़ थी ।
खूब सारे चाय और सारी खारी खत्म हो गई ...
पैसे लेने तो आ भाई सारे पैसे तेरे है ।
तू मुझे सिर्फ ऐसे किसी बिजनेश के बारे में बता मुझे पैसे नही चाहिए ।मेने उस चाय वाले दोस्त को कहा।
वो और जिसका इंतिजार कर रहा था थोड़ी देर में वहां आये और हमने बात की फिर मेने एक फ़ास्ट फूड की दुकान खोल ली कुछ सालों बाद । 
आज मैं अपनी सेलरी से ज्यादा का इनकम कर रहा हूं।
सब मेरे उन दोस्त की वजह से ।।। 
उस चाय की टपरी ने मेरा जीवन ही बदल दिया ।

©® प्रेमयाद कुमार नवीन

   9
3 Comments

वाओ बहुत ही शानदार और क्यूट स्टोरी है👌👌 अच्छा लगा पढ़कर। पर आप डायलॉग्स के स्टार्टिंग़ और एंडिंग में " ये sign जरूर लगाया करिये।

Reply

Seema Priyadarshini sahay

14-Feb-2022 12:43 AM

बहुत खूबसूरत

Reply

Abhinav ji

13-Feb-2022 02:24 PM

Nice

Reply